Sunday 31 July 2011

मैं एक लाश हूँ .......

मैं एक  लाश  हूँ .......
 By अशोक  अरोरा ·  June 23, 2011
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मैं एक लाश हूँ

पोस्ट.मोर्टेम   के  लिए

एक  कोने  मैं  पडी

अपनी मुक्ति  के  लिए

कराह  रही  थी

बाद में  आने  वाली  दूसरी  तीसरी

लाशों  का   पोस्ट.मोर्टेम 

हो  गया

मेरी  मुक्ति  मैं  कर्मचारी

रोड़ा  बना हुआ था ,

क्यूंकि

मेरे  अपनों  के  पास

नहीं था  रोकडा

उसे  रिश्वत  मैं

देने  को

मैं  सोचने  को

मजबूर हुई थी,

क्या 

संवेदनाये  दम  तोड़  चुकी

इस  आधुनिक  समाज  की

मैं भी 'अशोक' मजबूर हुआ था

वहां रुन्दन था

वहां करंदन  था

पर कोई कुछ ना

बोल रहा था ...

रचना : अशोक अरोरा

1 comment:

  1. दर्दभारी पेशकश .....रोंगटे खड़े हो गए
    आज के वक़्त और कोई संवेदना ही नहीं बची ......दुःख हुआ पढ़ के
    इस लेखनी के लिए आपको आभार ..

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