दोनोँ मुझ से दूर हूये है...........
by Ashok Arora on Saturday, July 16, 2011 at 3:53pm
एक दिन सुबह शहर मेँ
एक चौराहे पर ख़डा
मुझे एक मासुम मिला
लाल लाल गाल थे उस के
चेहरा भी था भरा भरा
मैँने पूछा प्यारे बच्चे
यहाँ पर कियूं खडे हुऎ हो
किन माँ बाप के दुलारे हो
कहाँ पर हैँ माँ बाप तुम्हारे
वो बोल
दोनोँ मुझ से दूर हूये हैँ
मिलने से भी मजबूर हूये हैँ
दोनोँ ने अपनी दुनिया बसा ली
माँ ने भी ममता बिसरा दी
बाप का प्यार माँ की ग़ोदी
उसका आँचल उसकी लौरी
यह सब मुझसे अब दूर हुए हैँ
और मैँ यहाँ पर खडा हुआ
अब बाटँ जौह रहा
एक संरक्षक की
मेरा मन तब रो उठा
और बोल कि हे प्रभु
कैसे माँ बाप हैँ ये
इस युग के अपनी
दुनिया अलग बसा ली
और इस मासूम की
दुनिया मेँ एक अनचाही
आग लगा दी..... रचियता: अशोक-अरोरा
आप का साथ चाहिए....ताकि लिखने क प्रयास जारी रहे....शुक्रिया
ReplyDeleteआज से सच के साथ ....
ReplyDeleteआपका स्वागत है आपका इस ब्लॉग की दुनिया में