Sunday 24 July 2011

दोनोँ मुझ से दूर हूये है...........

by Ashok Arora on Saturday, July 16, 2011 at 3:53pm

एक दिन सुबह शहर मेँ

एक चौराहे पर ख़डा

मुझे एक मासुम मिला

लाल लाल गाल थे उस के

चेहरा भी था भरा भरा

मैँने पूछा प्यारे बच्चे

यहाँ पर कियूं खडे हुऎ हो

किन माँ बाप के दुलारे हो

कहाँ पर हैँ माँ बाप तुम्हारे

वो बोल

दोनोँ मुझ से दूर हूये हैँ

मिलने से भी मजबूर हूये हैँ

दोनोँ ने अपनी दुनिया बसा ली

माँ ने भी ममता बिसरा दी

बाप का प्यार माँ की ग़ोदी

उसका आँचल उसकी लौरी

यह सब मुझसे अब दूर हुए हैँ

और मैँ यहाँ पर खडा हुआ

अब बाटँ जौह रहा

एक संरक्षक की


मेरा मन तब रो उठा

और बोल कि हे प्रभु

कैसे माँ बाप हैँ ये

इस युग के अपनी

दुनिया अलग बसा ली

और इस मासूम की

दुनिया मेँ एक अनचाही

आग लगा दी..... रचियता: अशोक-अरोरा

2 comments:

  1. आप का साथ चाहिए....ताकि लिखने क प्रयास जारी रहे....शुक्रिया

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  2. आज से सच के साथ ....
    आपका स्वागत है आपका इस ब्लॉग की दुनिया में

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